Sunday, July 23, 2023

रेजांग ला: भारतीय सैनिकों के शौर्य,बलिदान और देशभक्ति की एक अप्रतिम महागाथा

 रेजांग ला: भारतीय सैनिकों के शौर्य,बलिदान और देशभक्ति की एक अप्रतिम महागाथा

सन 1962 के नवंबर महीने की 17 और 18 तारीख़ की उस दरमियानी रात में लेह में हड्बडी को गला देने वाला बर्फीला तूफान चल रहा था I रेजांग ला दर्रे की सुरक्षा में एक तरफ़ भारतीय सैनिक अत्यंत सीमित संसाधनों के साथ अपनी चौकी की सुरक्षा में लगे थे, वहीँ दूसरी तरफ चीनी सेना संपूर्ण सैन्य संसाधनों से सुसज्जित 3000 सैनिकों के टिड्डी दल के साथ भारत की सीमा में घुसने की तैयारी से आगे बढ़ रही थी। अपने से कई गुना अधिक चीनी सेना का सामना करने वाली भारतीय टुकड़ी में मात्र 124 सैनिक थे, और सैन्य संसाधन भी पूरे नहीं थे। रेजांग ला पोस्ट पर भारतीय सीमा की प्रहरी थी '13 कुमाऊँ रेजिमेंट की चार्ली कंपनी'

चीनी सेना के हमले का दम साधे इंतजार कर रहे इन सैनिकों की जद में जब दुश्लेमन देश के सैनिक आए तो चार्ली कंपनी के वो 124 मतवाले सैनिक 'दादा किशन की जय' का जयघोष करते हुए चीनी सैनिकों पर टूट पड़े और अपने अदम्य साहस के बल उन्होंने चीनी सेना के पैर उखाड़ दिए। इस तरह सामरिक रूप से अति महत्वपूर्ण इस भारतीय सीमा में चीन को प्रवेश करने से रोक दिया।

कुल 124 में से 114 सैनिक इस मोर्चे पर वीरगति को प्राप्त हुए थे, इनका नेतृत्व कर रहे थे, परमवीर चक्र विजेता महानायक मेजर शैतान सिंह।

124 दल वाली यह चार्ली कंपनी मूलतः हरियाणा के रेवाड़ी जिले औऱ राजस्थान की अहीर जाति के जवानों से बनी थी, अतः इसको 'अहीर कंपनी' के नाम से भी जाना जाता है।

इन 124 जवानों ने कम संसाधनों, दुश्वार भौगोलिक और विषम जलवायु परिस्थितियों में भी अपने से कई गुना बड़ी और सैन्य संसाधनों से लैस चीनी नफरी के दांत खट्टे कर दिए।

भारत माता की सीमाओं की हिफाज़त करते हुए 114 वीर शहीद हुए, खास बात यह थी कि किसी भी सैनिक की पीठ में गोली नहीं लगी थी, सबने अपने सीने में गोली खा कर मातृभूमि का कर्ज चुकाया।

भारतीय सेना ने चार्ली कंपनी की इस अदम्य वीरता के सम्मान में कहा कि 'They fought till the last man and last bulllet. They were the VEER AHIR - THE BRAVEST OF THE BRAVE'. भारत माता के चरणों में अपने शीश नवाने वाले इन मतवाले सैनिकों की याद में लेह में सेना द्वारा एक स्मारक बनाया गया है, जिसका नाम है 'अहीर धाम'।
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